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Thursday, June 4, 2009

विधुत्त विभाग का एक सनसनी खुलासा ........




एक और जहाँ देवघर जिले को विश्वव्यापी श्रावणी मेला के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष पैकेज दिया जाता है वहीँ दूसरी और इस पैकेज का एक दूसरा रूप भी देखा जाता है जो पूरे मेला में तो स्पष्ट रूप से नज़र आता है लेकिन सही मायने में यह अंकेक्षण विभाग के खाते में पूर्ण रूप से परिपक्व नज़र नहीं आता है जिसका एक रूप देवघर स्थित विभिन्न विभागों के ख़ाक छानने से स्पष्ट होता है प्रशासन जैसे-तैसे मेले को संपन्न कराकर सफलता की शेखी बघारते है लेकिन उन शेखी के राहों में कितनी सच्चाई धरातल है , यह अनुत्तर ही रह जाता है इस सन्दर्भ में यह विषय भी काफी रोचक है कि करोडो रूपये आवंटन होने के वावजूद भी विधुत्त विभाग के खाते में करीब ५३ लाख रूपये बकाये के रूप में है विधुत्त बोर्ड जिला प्रशासन से इस सन्दर्भ में भुगतान करने की गुहार लगाई है रोचक बात यह है कि यह बकाया एक साल का नहीं है बल्कि सात साल का है इस बकाया रकम के भुगतान नहीं होने कि हालत में इस साल विधुत्त विभाग के इ एस इ बी के सिन्हा ने लिखित रूप से मेला में विधुत्त उपलब्ध कराने के लिए बत्तोर आठ लाख अग्रिम जमा मांगी है उन्होंने अपने पत्र में राज्य सरकार के ऊर्जा सचिव के देवघर आगमन पर १३ मई को परिसदन में हुई चर्चा का हवाला देते हुए उक्त भुगतान की मांग की है अब जरा सोंचे देवघर के मासव्यापी श्रावणी मेला के लिए राज्य सरकार द्वारा आवंटित पैकेज के वावजूद भी मेला के दौरान सेवा उपलब्ध करा रही विभिन्न विभागों का रुपया बकाया रह जाता है तो मेला के नाम पर पदाधिकारी किस कदर आवंटित धनराशि का उपयोग करते होंगे यह भी एक प्रश्न का विषय है जो पूरे मेला व्यवस्था के साथ - साथ मेला का कमान संभाल रहें पधाधिकारियों के साथ सम्बन्ध रखता है जानकारी के अनुसार वर्ष २००२ से लेकर वर्ष २००८ तक श्रावणी मेले में अस्थायी कनेक्शन के मद में जिला प्रशासन पर ५२ लाख ५७ हज़ार ८५९ रुपया ४८ पैसा बकाया है वर्ष २००२ में ०२ लाख ८७ हज़ार ७९६ रुपया ,


वर्ष २००३ में ०६ लाख १३ हज़ार ७५९ रुपया,


वर्ष २००५ में ०९ लाख ९० हज़ार ३० रुपया,


वर्ष २००७ में ०७ लाख ९५ हज़ार ६५४ रुपया,


वर्ष २००८ में ०७ लाख १५ हज़ार ७५३ रुपया ४८ पैसा


करोडो रूपये का पैकेज लेने वाले देवघर प्रशासन महज बिजली उपभोग का बकाया रखती है तो न जाने किस - किस विभाग और बाहर से भाड़े पर लाये गए या ली गयी सेवाएं का भी बकाया रखतें होंगें यह बानगी कहता है विधुत्त विभाग का एक सनसनी खुलासा

Monday, April 13, 2009

दिल से नजदीकी का अहसास कराती मांस

प्रस्तुत कथा संग्रह के अनुसार समाज के उन सभी संसाधनों को मुखरित करने का प्रयास किया गया है , जो आज भी किसी न किसी कारणवश विकाश के रौशनी से अब भी कोसों दूर है उक्त कथा संग्रह के द्वारा संथालपरगना के समस्त मूल्य चेतनाओं को परत दर परत बदलाव की और ले जाया गया है मूल्यहीन के इस दौर में मुख्य स्वार्थी और आत्मकेंद्रित हो रही शाषण और प्रशासन के अन्दर कुंठित हो गयी मानवता को उजागर किया गया है जो आज भी शाश्वत है हाँ उनके माननेवाले बदल गएँ है बदलाव मनुष्य की सोंच में आया है मूल्य चेतना कम हुई है हम आदमियत खोते जा रहे हैं बात विश्वास व विश्वग्राम की करतें हैं , पर पडोसी तक को नहीं जानते हैं , और उन्हें पूछ्तें तक नहीं हैं स्वार्थी होने पर मनुष्य की संवेदना समाप्त हो जाती है उसमे नैतिक साहस नहीं रहता है ऐसे में वह किसी की भी सहायता नहीं कर सकने लायक रहता है माना की बहुत कुछ बदला है , लेकिन सब कुछ समाप्त नहीं हुआ है यहाँ इस धरती पर , ऐसे लोग भी है जिनकी मानवीय एक नैतिक मूल्यों में गहरी आस्था है यकीन कीजिये आज भी दुष्टों एक बेईमान की तुलना में भले लोंगों की संख्या अधिक है , तभी तो यह दुनिया चल रही है विश्वास बना हुआ है अपने कथन के समर्थन में कुछ सत्य घटनाओं का उल्लेख करना चाहता हूँ मांस और सिम्मी के अलावे राजमहल की......................इस काव्यसंग्रह में कई बातों का उल्लेख किया गया है , जो अध्ययन के दौरान दिल को छु जाती है

Sunday, April 12, 2009

चंद्र विजय प्रसाद चंदन की कथा संग्रह


चंद्र विजय चंदन द्वारा रचित मांस कथा संग्रह ग्रामीण परिवेश का यथार्थ चित्रण है , जो कारुणिक होने के साथ - साथ आंचलिक शब्दों में पिरोकर लिखा गया है , मानो श्री चंदन के अन्दर भाव अंतर्भुक्त हो चुके हैं विवशता की बलिवेदी पर चढ़ रही मानवता को अपने शब्दों के धार से जिस उचाई पर ले जाने का प्रयाश किया है वह अपने आप में एक उपलब्धि है , जिस पर अगर मूल्य चेतना के आधार पर मूल्यांकन करें तो वह भी भारी है
शेष इस कथासंग्रह के सान्निध्य में जाकर ही आप इसकी विशेषता से रु-ब- रु हो सकतें हैं इसके अलावे सूर्य के भांति प्रखर शब्दों के धार से ग्रामीण परिवेश की sachhai को भी उजागर किया है , जो शायद उनके या समाज के किसी दबे कुचले और शोषित मानव समुदाय की पीड़ा हो श्री चंदन की यूँ तो रचनाएँ कई हैं , लेकिन उन रचनाओं में मांस और सिम्मी तथा राजमहल की पहाडिया नामक रचना पाठकों के दिल में राज करते हुए काफी सराहना पाई साहित्य के विभिन्न विषयों में लिखने वाले चंदन " इला " नामक काव्य संग्रह की रचना की है , जो लम्बी कविता है और जिसके " क्षितिज" के संधि स्थल पर डाला है सूरज धीरे - धीरे , रजनी आई भी है तो नदी के तीरे - तीरे इतना ही नही , श्री चंदन गजल और शेर भी उतनी ही बेवाकी से लिखते हैं जिसका कुछ अंश प्रस्तुत है : --------
कुछ शब्दों का इज़हार करूँ तो ; कातिब नही ki लिख ।
खूने जिगर हर्फों में , अगर इश्क होता आसान , सुनाता तुम्हे लफ्जों
गजल की बानगी पेश करूँ तो दर्द इन बातों की नही की तुने धाये ही सितम
होठों से जो कह दी हो , तड़प उठे हैं सनम , रकीब जान लेती तो होती इन सीने में जलन
उल्फत में चलाये तीर तुमने , जख्मी हुये हैं हम ; आती है हँसी होठों पर , गर अजमेरी को देखकर गुनाहगार हो गया "चन्द्र " अपनी ही नजरों में गिरकर
पिरोयो गुलों की सुर्खियाँ तेरे होठों पर , तम्मना ऐ जुत्स्जू है , तेरा साहिल बनकर भर दूँ दामन में तेरे झिलमिल आसमा के तारे , महका दूँ चमन गुलों की , ऐ नुरे अफताब मेरे
यह सार चंदन के ही रचना का एक भाग है , जो मैंने साभार लिया और आपकों भी ..................
चंदन जी को धन्यवाद देने के लिए आप मोबाइल नम्बर ९४७१३८७४५४ और ९२७९०१३०७१ पर जा सकतें हैं और इस उभरते हुए कलम के जादूगर को मानव की अनकही दस्तावेंजो के प्रति एक मार्गदर्शन करा सकतें हैं

Sunday, April 5, 2009

ब्लॉग बना पायजामा पत्रकारों का अखारा

आखिर में ब्लॉग बन ही गया पायजामा पत्रकारों का अखारा , जो अपनी बातों और बेवाक टिप्पणियों को ब्लॉग के माध्यम से विश्व में पहुचाने का काम कर रहें हैं साथ ही अपनी मन की कुंठित भावना और मन की भड़ास निकालने के लिए इसका दुरूपयोग भी कर रहें हैं जिसका एक उदाहरण हाल ही में मुंबई में घटित साइबर अपराध शाखा से मुखरित होता है जहाँ ब्लॉग के द्वारा एक मॉडल मुमताज के बारे में खरी - खोटी ही नही कई अश्लील बातें लिखकर बदनाम करने का मामला दर्ज हुआ है, यह मामला ब्लॉग पर बैठे पायजामा पत्रकारों के मानसिकता को बयां कर रही है और साबित कर रहा है कि ब्लॉग पर अपने प्रसिद्दी पाने के जुगत में वे किसी भी रास्ते को अपना सकतें हैं बतातें चलें कि आज ब्लॉग पर अपनी प्रसिद्दी पाने के लिए व्यवसायी ,सरकारी कर्मचारी , खिलाडी और बेगार घुमने वाले युवक भी अपनी बेवाक टिप्पणियों के द्वारा प्रसिद्दी पाने का प्रयास कर रहें है , जो ब्लॉग को अपनी पहचान का माध्यम बनाते ही हैं साथ ही ब्लॉग के हेल्दी वातावरण को भी कलंकित करने का प्रयास करते हैं
ब्लॉग में आजकल कई लोग अश्लील बातों और धारदार तीखी शब्दों को अपने मन की भड़ास के रूप में प्रस्तुत करतें है ,इसे एक तरह से लोकतंत्र में स्वतंत्रता का अधिकार माने तो कोई सवाल ही नहीं उठती लेकिन इस स्वतंत्रता का इस्तेमाल अगर किसी बेतुकी बातों के लिए किया जाय तो कई प्रकार का सवाल मुखरित हो जाता है जो अपराध की श्रेणी में आकर खडा हो जाता है आज हालात ऐसी हो चुकी है की समाज के हरेक वर्ग को पत्रकारिता करने का शौक आ चुका है , जो अपने आपको पत्रकार तो नहीं सिटिज़न पत्रकार के रूप में पेश करने में काफी गौरवान्वित अहसास करतें हैं क्योंकि ब्लॉग के माध्यम से किसी के प्रति किसी भी प्रकार का टिप्पणी अपनी शब्दों के धार में लिखकर दुनिया के लोंगो को यह बताने का प्रयास करतें है की हम भी कुछ हैं, इस कुछ में कुछ बातें सही होती है जो किसी भी मीडिया हाउस द्वारा मुख्य रूप से पेश नहीं किया जाता है , यह बातें ब्लॉग के माध्यम से ही समाज के धरातल पर मुखरित होता है, परन्तु सवाल यह उठता है कि इसका असर कितना प्रतिशत समाज के लोंगो पर हो पड़ता है और कितना प्रतिशत ....आदि - आदि फिर भी ब्लॉग पायजामा पत्रकारों का अड्डा बन ही गया है

Saturday, April 4, 2009

वोटर लिस्ट

चुनाव के नाम पर एक और जहाँ पुरे देश में उहफोह की स्तिथि बनी हुई है वहीं दूसरी और मतदाताओं के बीच अपने मत डालने के लिए बनाये गए नियमो का मजाक उराया जा रहा है जिसका नज़ारा पूरे देश में देखने को मिल रहा है कहीं - कहीं तो मतदाताओं की संख्या इस प्रकार से मतदाता सूचि में अंकित किया गया है कि उसके अनुसार कई मतदाता अपने मत के अधिकार से वंचित हो रहें हैं अब सवाल उठता है कि इसके लिए कौन जिम्मेवार है ? जनता या सरकार अगर इन बातों पर गौर फरमाए तो पता चलता है कि जनता से ज्यादा सरकार ही दोषी है क्योंकि उन्होंने सरकारी राशि का उपयोग जनहित में करने के बजाय अधिकांशतः बंदरबांट करने में ही उपयोग किए , परिणामस्वरूप आज उन्हें चुनाव के पूर्व मतदाता सूचि में मतदाताओं कि नाम अंकित करवाने कि ..............
चुनाव के वक्त मतदाता सूचि में नाम अंकित करने के लिए सरकार को चिंता सताने लगी है और वे सरकारी धन को दोनों हाथ से खुलेआम लुटाने में लगे है , खामियाजा एक तरफ नेताओं की मंशा पूरी हो रही है तो दूसरी तरफ सरकारी रहनुमयों की
मतदान के अधिकार के लिए बनाये गए नियमों को सरकार के द्वारा चुनाव के वक़्त न शुरू कर आम अवकाश के दिनों में करना चाहिए तभी भारत के सभी मतदाता आसानी से अपने मत का अधिकार कर संकेंगें
संकेंगे
सन्केंगे
सन्केन्गे

Tuesday, March 31, 2009

एक कल था , और आज

कभी जिस्म को छलनी करने वाले , कभी सांप की भांति फुफकार मारने वाले को अगर सियासत का हक़दार बना दिया जाय तो समूचे सियासत की रणनीति पर एक प्रश्नचिन्ह लग जाता है जिसका उदहारण कल तक देश के अन्य कोने में हो रहे सियासती दांव के साथ देखा जाता था और तो और सूना जाता था लेकिन आज अपने सामने देखा जा रहा है अपराधी छवि और हत्या से विवादों में रहे और जेल में सजा काटे शख्स राजनारायण खावारे , उर्फ बबलू खवारे ने अपने दबिश के बल पर गोड्डा लोकसभा सीट पर आजसू राजनीतिक दल से प्रत्याशी के रूप में अपनी उम्मीदवारी तय करवा ली यह एक भारतीय लोकतंत्र में एक आम आदमी का अधिकार को दर्शाता है तो वहीं दूसरी और लोकतंत्र में बने कानून का एक भद्दा मजाक भी उडाता है कि ख़ुद हत्या व अपराध को अपना मुख्य पेशा बनानेवाले लोकसभा सीट हेतु टिकट मिलने पर मीडिया वालों के सामने अपना स्टेटमेंट देते हुए कहते है कि , अगर मेरी जीत हुई तो समाज को अपराध से छुटकारा देंगे , यह मेरी पहली प्राथमिकता होगी इसके अलावे ,मै समाज को विकास की और ले जाऊंगा और विकास के लिए सरकार द्वारा के द्वारा दिए गए पैसे का पुरा उपयोग apne khetr ke liye krunga . कि कानून ने सत्ता पक्ष के बातों में आकर कई ऐसे निर्णय दुराग्रह से प्रेरित होकर ले रहें है , जिसका उदहारण पीलीभीत लोकसभा सीट से वरुण गाँधी , मुख्य रूप से है कहने का मतलब यह नही की वरुण के साथ बबलू का तुलना करना चाहिए , यहाँ तुलना न कर भारत के संविधान के उस पहलु को याद करना है , जो विज्ञापन के माध्यमो से नित्य टी वी पर लोगों को जागरूक करने के लिए किया जाता है , विज्ञापन में यह दर्शाया जाता है ------ बस में अगर इस सांप को टिकट नही मिल सकता है तो राजनीती में अपराधी को टिकट कैसे दे दिया जाता है
शेष अगली बार -----------------

Monday, March 23, 2009

उसर भूमि पर lahlahta साहित्य का फसल

संताल परगना की धरती साहित्य के दृष्टिकोण से उसर और अनुपजाऊ रही है , यही कारण है की यंहा के मिटटी में अंकुरित हो रहे विरबे को फलने - फूलने का मौका नही मिल पता है नतीजतन साहित्य के सौपान पर नोनिहल के कदम पड़े भी तो गुमनामी के गहरे अंधेरे में खो jata है किंतु इस उसर jamin पर sambhambnayon के phasal जब ugte हैं तो लगता है mano vatavaran को disha और दशा मिलता - sa partit होता है

Friday, March 20, 2009

देवघर के अपराधी भी चले भी राजनितिक दामन थामने ,.............

गोड्डा लोकसभा चुनाव में अगर अपराधी चरित्र के लोग भी आ जायेंगे तो इसका भविष्य क्या होगा यह तो अनुत्तर ही है हालाँकि चुनावी हवा में यह बात चर्चा का विषय बन मुखरित हो रहा है कि इस बार अपराध जगत से बाहर निकल देवघर के चर्चित अपराधी राजनारायण खवारे उर्फ बबलू खवारे चुनावी मैदान में उतरेंगे इसके लिए वे लोजपा और बसपा से संपर्क साधे हुए हैं बहरहाल, अभी कोई भी बात स्पष्ट नही हो पाया है कि बबलू को कौन पार्टी अपने गोद में बिठाएगी क्योंकि जिस प्रकार बबलू के समर्थकों ने खुलेआम उनकी उम्मीदवारी की टिपण्णी करनी शुरू कर दी है बतातें चलें की बबलू धन और बल पर बसपा के उम्मीदवार इकवाल दुर्रानी का टिकट झपट कर अपने नाम करने के जुगत में लगें हैं , लेकिन अधिकांशतः चर्चा में यह भी बना है कि वे लोजपा से टिकट पाने में करीब - करीब सफल हो चुकें लेकिन ये अभी किसी भी तरह बसपा से टिकट लेने में सफल नही हुएं है शिगूफा के रूप में यह अफवाह का रूप ले रहा हा कि इन्हे आजसू से टिकट दिया जा रहा है , लेकिन यह भी खुलासा नही हुआ है यू तो इस बाहुबली उम्मीदवार को राजनितिक विश्लेषक एक बाहुबली उम्मीदवार के रूप में आकलन कर रहें है लेकिन उक्त सीट पर अपने भाग्य आजमाने के उद्देश्य से खड़े बबलू सियासत के मैदान में एक तलवार की भांति आकर अटक गया है कोई इसके पक्ष में खुल कर बोलने से कतरा रहा है तो कोई इसके पक्ष में खुलकर बोल रहा है मानो गोड्डा लोकसभा सीट पर जीतने वाले उम्मीदवार में से यही एक हैं जो जनता की भावनायों का जीतने के बाद कदर करेंगे बहरहाल जो भी हो , जैसे - जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहा है वैसे - वैसे इस बाहुबली को लेकर चुनावइ अखाडे में कई कयास लगायें जा रहे है

गोड्डा लोकसभा चुनाव हुआ ............................

गोड्डा लोकसभा सीट पर चुनावी डुगडुगी बज चुका है हर पार्टी अपनी - अपनी जीत निश्चित करने के लिए कई प्रकार के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए है लेकिन उन सबों में एक बात उभर कर आ रही है कि इस बार जीत का माला किस के गले में होगी भाजपा चुनाव से पूर्व अपने स्तर से माहोल में गर्माहट ला चुकी है क्षेत्र में चुनावी गर्माहट आते ही जहाँ आमलोगों के जुबां पर चुनावी चर्चा हावी हो चुका है वहीं यह बात भी मुखरित हो रहा है कि अबकी बार सब को एक ही साथ संसद भेज दिया जाएगा चाहे वह जो भी का पार्टी का उम्मीदवार हो , वहीं पर वे फैसला ख़ुद करेंगे कि किसे सांसद बनना है बतातें चलें कि इस सीट पर भाजपा , कांग्रेस , झाविमो, लोजपा , बसपा की भी नज़र गड़ी है भाजपा से देल्ली के उधोगपति निशिकांत दूबे , कांग्रेस से सीटिंग एम पी फुरकान अंसारी , झाविमो से पूर्व विधायक प्रदीप यादव मैदान में है जबकि इस सीट के लिए बसपा , लोजपा और राजद की निगाहें अब भी टिकी है बसपा और लोजपा से देवघर के अपराध जगत के बादशाह राजनारायण खावादे ( उर्फ बबलू खवारे टिकट के जुगत में भीरे हैं अफवाहों की माने तो बबलू भी अब सहाबुद्दीन और पप्पू की तरह सियासत का दामन थाम जनता के पास जन चाहतें है और अपने दागदार छवि को बेदाग बनाना चाहतें हैं वहीं विश्लेषकों का मानना है की बबलू के चुनाव मैदान में आने से गोड्डा लोकसभा चुनाव का रुख बदल जाएगा और चेंज इंडिया के नारा पर विराम लगा देगा और लोग चुनाव के दिन भय से बबलू को चुनाव में ही वोट देंगे विश्लेषकों की बातें कुछ गले नही उतरती है , अगर एक अपराधी अपने दबंगता के आधार पर लोकसभा सीट पर अपनी जीत सुनिश्चित करते हैं तो क्या वे जनता को एक अपराध मुक्त वातावरण दे पाएंगे आदि -- आदि !
उक्त लोकसभा सीट पर एकाएक इस नाम का उभर कर सामने आना इस बात को भी स्पष्ट करता है कि गोड्डा सीट पर हर पार्टी की नज़र टिकी है ..................

Tuesday, March 17, 2009

गोड्डा लोकसभा सीट पर भाजपा का द्वंद .......

चौदहवीं लोकसभा चुनाव का बिगुल फूका जा चुका है, राजनितिक के खिलाड़ी अपने - अपने भाग्य को आजमाने के लिए अपनी सारी शक्ति झोंक दी है इसका एक उदाहरण है गोड्डा लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार निशिकांत दुबे , जो चुनावी हवा शुरू होने से पहले अपने ही लोंगो का विरोध सहा और फिर एक दुल्हे की तरह प्रत्याशी बन पार्टी के आलाकमान के इशारे पर अपनी रणनीति को अंजाम देना शुरू कर दिया है बहरहाल , निशिकांत दुबे को लेकर भाजपा में भीतर ही भीतर उबाल हो रहा है और कोई पक्ष में तो कोई विपक्ष में अन्दर ही अन्दर से समर्थन देने के निर्णय को लेकर असमंजस में पड़ गया है इस सन्दर्भ में पार्टी के कार्यकारिणी की एक बैटक १८ मार्च को देवघर में की गई , जिसमे निशिकांत को भारी मतों से जीताने का आह्वान किया गया कुछ नेता तो अपने फायदे को देखकर तो कुछ अपने नुकसान की भरपाई को देखकर निशिकांत के समर्थन में अपनी हाँ मी भर दी वहीं कभी विरोध का स्वर निकाल रहे मधुपुर विधायक राज पलिवार ने आयोजित इस बैठक में शामिल होकर भाजपा के अन्दर प्रस्फुटित हो रहे विवाद को कुछ हद तक विराम लगाने का प्रयास किया विश्लेषकों का कहना है कि भले ही राज पलिवार बैठक में शामिल होकर अपनी पार्टी कि एकता को आमजनता के सामने पेश करने का प्रयास किया लेकिन वे श्री दुबे को हराने का प्रयास जरुर करेंगे क्योंकि , वे गोड्डा सीट के लिए ख़ुद को पूर्व से ही उम्मीदवार घोषित कर आमजनता के सामने प्रोमोट कर रहें थे लेकिन चुनाव आते - आते भाजपा आलाकमान ने सारा गेम ही बदल दिया और राज के जगह निशिकांत को टिकट दे दिया और यहीं से शुरू हुआ विरोध निशिकांत के देवघर आगमन पर राज समर्थकों ने जिस तरह जसीडीह स्टेशन पर बवाल काटा वह काफी शर्मनाक ही था निशिकांत के समर्थकों का न केवल सर ही फोड़ा गया बल्कि उनकी बेरहमी से पिटाई भी की यही घटना राज पलिवार के छवि को जनता के सामने प्रस्तुत कर दिया अपने ही घर में राज होने लगे बेगाने और निशिकांत होने लगे सबके प्यारे जिसका एक नजारा होली के अवसर पर आयोजित होली मिलन समारोह में देखा गया , यह प्रोग्राम जिला नागरिक मंच द्वारा आयोजित किया गया था जिसमे राजद विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुनना सिंह भी शामिल हुए थे , लेकिन राज पलिवार नही
इसके बाद बीते दिन देवघर में पूरे संताल परगना के चुनावी रणनीति हेतु एक बैठक आयोजित की गई जिसमे पार्टी के वरीय नेता रघुवर दास सरीखे नेता आदि शामिल हुए बैठक में आए नेता गन हाल ही में घटी घटना पर किसी प्रकार के टिपण्णी करने से खासकर मीडिया से परहेज करते रहे और ऐसा ही किया

अंततः भाजपा की भगवा फहराने की मंशा चनाव के पूर्व ही कई कयासों से गुजरने में .....................................

राजीव गाँधी पर विडियो एल्बम बना , राहुल गाँधी करेंगे विमोचन

यधपि देवघर को सांस्कृतिक राजधानी का तगमा दे दिया गया किंतु राज्यस्तर पर नाममात्र पहल किया जाता है जिस कारन यहाँ के प्रतिभायों को अपनी प्रतिभा को राज्य स्तर पर मुखरित करने में काफी संघर्ष करना परता है हाल की ही एक उपलब्धि की बात करें तो देवनगरी देवघर से झारखण्ड फ़िल्म आर्टिस्ट असोसियन के सदस्यों ने जिस प्रकार का कमल कर दिखया वह कबीले तारीफ ही कहा जा सकता है उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस के युवा प्रधानमंत्री पर एक एल्बम का निर्माण ही नही किया बल्कि अपनी प्रतिभा तले दबे एक उन्नत सोंच के प्रति उनके पुत्र राहुल गाँधी को भी आकर्षित किया ज्ञात हो किगाँधी पर बने विडियो एल्बम का विमोचन युवा सांसद राहुल गाँधी करेंगे देवघर से देल्ली जाने वाले कलाकार रमेश चन्द्र झा , पायल , आदि हैं ।

Sunday, March 15, 2009

झारखण्ड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर में कई कलाकार है , जो अपने प्रतिभा के बल पर न सिर्फ फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना पहचान बनाया है बल्कि अपनी मिटटी की सुंगंध से पुरे देश को परिचय कराया है कि की देवघर केवल बाबा बैधनाथ के महत्वों को अपने पास संजो को रखता है साथ साथ अनेक प्रतिभाओं को भी प्रस्तुत कर सकता है देवघर के कलाकारओं को समय समय पर एक मजबूत प्लात्फोर्म नही मिला लेकिन ये अपने मेहनत और लगन के आधार पर अपनी प्रतिभाओं को उजागर किया आज देवघर को ऐसा मुकाम मिल गया है की यहाँ की धरती से मुंबई की फ़िल्म इंडस्ट्री और वर्ल्ड रिकॉर्ड तोरने के चक्र पर अपना परचम लहरा चुका है

आजाद विचार , आजाद सोंच और आजाद अभिव्यक्ति .....

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यह मानव जीवन का जीवरक्त है ...... सकारात्मक , नकारात्मक , विकासात्मक, विनाशात्मक
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Greetings