चुनाव के नाम पर एक और जहाँ पुरे देश में उहफोह की स्तिथि बनी हुई है वहीं दूसरी और मतदाताओं के बीच अपने मत डालने के लिए बनाये गए नियमो का मजाक उराया जा रहा है जिसका नज़ारा पूरे देश में देखने को मिल रहा है कहीं - कहीं तो मतदाताओं की संख्या इस प्रकार से मतदाता सूचि में अंकित किया गया है कि उसके अनुसार कई मतदाता अपने मत के अधिकार से वंचित हो रहें हैं अब सवाल उठता है कि इसके लिए कौन जिम्मेवार है ? जनता या सरकार अगर इन बातों पर गौर फरमाए तो पता चलता है कि जनता से ज्यादा सरकार ही दोषी है क्योंकि उन्होंने सरकारी राशि का उपयोग जनहित में करने के बजाय अधिकांशतः बंदरबांट करने में ही उपयोग किए , परिणामस्वरूप आज उन्हें चुनाव के पूर्व मतदाता सूचि में मतदाताओं कि नाम अंकित करवाने कि ..............
चुनाव के वक्त मतदाता सूचि में नाम अंकित करने के लिए सरकार को चिंता सताने लगी है और वे सरकारी धन को दोनों हाथ से खुलेआम लुटाने में लगे है , खामियाजा एक तरफ नेताओं की मंशा पूरी हो रही है तो दूसरी तरफ सरकारी रहनुमयों की
मतदान के अधिकार के लिए बनाये गए नियमों को सरकार के द्वारा चुनाव के वक़्त न शुरू कर आम अवकाश के दिनों में करना चाहिए तभी भारत के सभी मतदाता आसानी से अपने मत का अधिकार कर संकेंगें
संकेंगे
सन्केंगे
सन्केन्गे
Saturday, April 4, 2009
Tuesday, March 31, 2009
एक कल था , और आज
कभी जिस्म को छलनी करने वाले , कभी सांप की भांति फुफकार मारने वाले को अगर सियासत का हक़दार बना दिया जाय तो समूचे सियासत की रणनीति पर एक प्रश्नचिन्ह लग जाता है जिसका उदहारण कल तक देश के अन्य कोने में हो रहे सियासती दांव के साथ देखा जाता था और तो और सूना जाता था लेकिन आज अपने सामने देखा जा रहा है अपराधी छवि और हत्या से विवादों में रहे और जेल में सजा काटे शख्स राजनारायण खावारे , उर्फ बबलू खवारे ने अपने दबिश के बल पर गोड्डा लोकसभा सीट पर आजसू राजनीतिक दल से प्रत्याशी के रूप में अपनी उम्मीदवारी तय करवा ली यह एक भारतीय लोकतंत्र में एक आम आदमी का अधिकार को दर्शाता है तो वहीं दूसरी और लोकतंत्र में बने कानून का एक भद्दा मजाक भी उडाता है कि ख़ुद हत्या व अपराध को अपना मुख्य पेशा बनानेवाले लोकसभा सीट हेतु टिकट मिलने पर मीडिया वालों के सामने अपना स्टेटमेंट देते हुए कहते है कि , अगर मेरी जीत हुई तो समाज को अपराध से छुटकारा देंगे , यह मेरी पहली प्राथमिकता होगी इसके अलावे ,मै समाज को विकास की और ले जाऊंगा और विकास के लिए सरकार द्वारा के द्वारा दिए गए पैसे का पुरा उपयोग apne khetr ke liye krunga . कि कानून ने सत्ता पक्ष के बातों में आकर कई ऐसे निर्णय दुराग्रह से प्रेरित होकर ले रहें है , जिसका उदहारण पीलीभीत लोकसभा सीट से वरुण गाँधी , मुख्य रूप से है कहने का मतलब यह नही की वरुण के साथ बबलू का तुलना करना चाहिए , यहाँ तुलना न कर भारत के संविधान के उस पहलु को याद करना है , जो विज्ञापन के माध्यमो से नित्य टी वी पर लोगों को जागरूक करने के लिए किया जाता है , विज्ञापन में यह दर्शाया जाता है ------ बस में अगर इस सांप को टिकट नही मिल सकता है तो राजनीती में अपराधी को टिकट कैसे दे दिया जाता है
शेष अगली बार -----------------
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