आगामी २६ जुलाई से सावन मास शुरू होने जा रहा है , इस एक महीने में पूरा देवघर आस्था का महासंगम बन जायेगा , चारो और बस एक ही नारा सुनने को मिलेगा "बोल बम " | वर्ष के इस एक महीने में जितना आस्था केवल देवघर (झारखण्ड ) में दिखता है उतना ही यहाँ से करीब १०८ किलोमीटर दूर स्थित सुल्तानगंज (बिहार) में भी दिखता है | आस्था से लबरेज लोंगों की आत्मविश्वास की एक झलक पैदल कांवर यात्रा में भी दिखता है | लोंगों के दिलो - दिमाग में बस एक ही बात घर कर जाती है की बाबा बैधनाथ को जलार्पण करना है | क्योंकि बाबा मनोकामना शिवलिंग है और तो और यह द्वादश ज्योतिर्लिंग में भी एक अहम् स्थान रखता है | हालाँकि देवघर स्थित बाबा बैधनाथ मंदिर में विभिन्न देवी - देवताओं के कुल २२ मंदिर हैं , लेकिन उन सबों में सबसे ज्यादा आस्था बाबा बैधनाथ के प्रति ही देखा जाता है | भक्त बाबा पर जलार्पण करने के लिए लम्बी कतार के साथ कई परेशानिओं का सामना करने के बाद भी गर्भगृह में प्रवेश कर सुल्तानगंज से लाकर गंगा जल अर्पण करतें हैं | समय के साथ भक्तों के सेवा के लिए कई सामाजिक संघठन भी अपना - अपना शिविर लगाकर भक्तों के सेवा के माध्यम के से पुन्य बटोरने का प्रयास करतें हैं | सुल्तानगंज से देवघर तक रास्तों में कई स्वयं सेवी संस्थाओं और सामाजिक संघठनों के शिविर के अलावे कई नामचीन कोर्पोरेट कम्पनियाँ भी अपना - अपना शिविर लगातें हैं और बी टू बी के माध्यम से अपना विपणन का रास्ता तैयार करतें हैं |
वहीँ बाबा के भक्तों के काँधे पर कांवर का दृश्य भी अद्भुत होता है | बच्चे हो या बड़े , महिला हो या पुरुष , सभी के काँधे पर कांवर नज़र आता है | कांवर भक्त अपने क्षमता के अनुसार विभिन्न आकर - प्रकार और विभिन्न वजनों में कांवर लेकर बाबा नगरी आतें हैं | इसके अलावे कई भक्त सांप तो कई भक्त बाबा के विभिन्न प्रकार के प्रिय दूत को लेकर बाबा मंदिर अपनी आस्था व्यक्त करने आतें हैं | वर्ष के बस एक महीने में यानि सावन महीने में मानव का एक महासमुद्र देवघर में उतर आता है , पूरा शहर भगवा धारी भक्तों से पट जाता है | शहर का सारा कोना बोलबम से गूंजामयान हो जाता है | इस एक महीने में बिहार प्रान्त का सुल्तानगंज और झारखण्ड प्रान्त का देवघर ( बैधनाथधाम) और बासुकीनाथधाम आस्था का संगम बन जाता है |देवघर आने के पहले भक्त बिहार के सुल्तानगंज स्थित गंगा में स्नान कर पवित्र हो गंगा जल उठातें हैं और फिर पवित्रता के साथ देवघर के लिए रवाना हो जातें हैं | देवघर में बाबा बैधनाथ के शिवलिंग में जलार्पण करने के बाद यहाँ से करीब २० किलोमीटर दूर स्थित बासुकीनाथ धाम जातें है और अपनी नाना प्रकार की महत्वाकांक्षा की कामना करतें है |