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Sunday, April 5, 2009

ब्लॉग बना पायजामा पत्रकारों का अखारा

आखिर में ब्लॉग बन ही गया पायजामा पत्रकारों का अखारा , जो अपनी बातों और बेवाक टिप्पणियों को ब्लॉग के माध्यम से विश्व में पहुचाने का काम कर रहें हैं साथ ही अपनी मन की कुंठित भावना और मन की भड़ास निकालने के लिए इसका दुरूपयोग भी कर रहें हैं जिसका एक उदाहरण हाल ही में मुंबई में घटित साइबर अपराध शाखा से मुखरित होता है जहाँ ब्लॉग के द्वारा एक मॉडल मुमताज के बारे में खरी - खोटी ही नही कई अश्लील बातें लिखकर बदनाम करने का मामला दर्ज हुआ है, यह मामला ब्लॉग पर बैठे पायजामा पत्रकारों के मानसिकता को बयां कर रही है और साबित कर रहा है कि ब्लॉग पर अपने प्रसिद्दी पाने के जुगत में वे किसी भी रास्ते को अपना सकतें हैं बतातें चलें कि आज ब्लॉग पर अपनी प्रसिद्दी पाने के लिए व्यवसायी ,सरकारी कर्मचारी , खिलाडी और बेगार घुमने वाले युवक भी अपनी बेवाक टिप्पणियों के द्वारा प्रसिद्दी पाने का प्रयास कर रहें है , जो ब्लॉग को अपनी पहचान का माध्यम बनाते ही हैं साथ ही ब्लॉग के हेल्दी वातावरण को भी कलंकित करने का प्रयास करते हैं
ब्लॉग में आजकल कई लोग अश्लील बातों और धारदार तीखी शब्दों को अपने मन की भड़ास के रूप में प्रस्तुत करतें है ,इसे एक तरह से लोकतंत्र में स्वतंत्रता का अधिकार माने तो कोई सवाल ही नहीं उठती लेकिन इस स्वतंत्रता का इस्तेमाल अगर किसी बेतुकी बातों के लिए किया जाय तो कई प्रकार का सवाल मुखरित हो जाता है जो अपराध की श्रेणी में आकर खडा हो जाता है आज हालात ऐसी हो चुकी है की समाज के हरेक वर्ग को पत्रकारिता करने का शौक आ चुका है , जो अपने आपको पत्रकार तो नहीं सिटिज़न पत्रकार के रूप में पेश करने में काफी गौरवान्वित अहसास करतें हैं क्योंकि ब्लॉग के माध्यम से किसी के प्रति किसी भी प्रकार का टिप्पणी अपनी शब्दों के धार में लिखकर दुनिया के लोंगो को यह बताने का प्रयास करतें है की हम भी कुछ हैं, इस कुछ में कुछ बातें सही होती है जो किसी भी मीडिया हाउस द्वारा मुख्य रूप से पेश नहीं किया जाता है , यह बातें ब्लॉग के माध्यम से ही समाज के धरातल पर मुखरित होता है, परन्तु सवाल यह उठता है कि इसका असर कितना प्रतिशत समाज के लोंगो पर हो पड़ता है और कितना प्रतिशत ....आदि - आदि फिर भी ब्लॉग पायजामा पत्रकारों का अड्डा बन ही गया है

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