श्रावणी मेला की उलटी गिनती शुरू होते ही देवनगरी देवघर में तरह - तरह का अफवाह उत्पन्न होने लगा है | जिसमे आतंकी हमला तो काफी नक्सली हमला मुख्य रूप से मुखरित होता है | इसी क्रम में आज २३ जुलाई को यहाँ के चर्चित और प्रसिद्ध बाबा - बैधनाथ मंदिर में संदेह के आधार पर एक व्यक्ति को पकड़ा गया है , आशंका जताया जा रहा है कि यह व्यक्ति आतंकी है और मंदिर में अपने काले करतूत को अंजाम देने आये थे | सबसे रोचक बात है कि संदेह के आधार पर पकडे गए व्यक्ति ने बाबा मंदिर में विधि- विधान अनुरूप पूजा अर्चना किया और मंदिर से पूजा कर मंदिर परिसर से बाहर निकलते ही पुलिस ने उसे संदेह के आधार पर अपने गिरफ्त में ले लिया | पुलिस द्वारा संदेह जताने का कारण केवल तो बस इतना था कि , उनके चेहरे पर लम्बी दाढ़ी थी और पौशाक में पंजाबी कुर्ता पहना था , सर के बाल मुड़े हुए थे | इस रंग -रूप को देख पहले पुलिस अचंभित हुई और फिर उसे पूछताछ के लिए अपने कब्जे में ले लिया | जाँच के क्रम में उनके पास से एक डायरी मिला , जिसमे ख़रीदे गया पंजाबी - पायजामे का रसीद और उसके द्वारा लिखे गए कुछ शब्द थें | पुलिस के कब्जे में लेने का बाद ही पूरे शहर में यह खबर आग की तरह फैल गयी कि एक आतंकी पकड़ा गया , | बतातें चलें की देवघर स्थित बाबा मंदिर में हिन्दुओं के अलावे मुस्लिम भी पूजा अर्चना करतें है | श्रावणी मेला में कई कई मुस्लिम कांवर यात्रा कर सुल्तानगंज से गंगा जल लाकर बाबा के शिवलिंग पर अर्पण करतें हैं | साल भर किसी न किसी बहाने मुस्लिम वर्ग भी अपनी आस्था प्रकट करने आतें रहतें हैं | ऐसे में एक मुस्लिम लिबास में कोई व्यक्ति बाबा मंदिर में पूजा करता है तो वर्तमान समय में आतंकी करार दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है | उधर पुलिस इसे आतंकी करार देने के लिए कवायद में लगें हैं , वहीँ दूसरी तरफ इस व्यक्ति को टीका - चन्दन लगाकर पूजा - अर्चना करवने वाले पुरोहित को भी पुलिस पूछताछ के लिए अपने कब्जे में ले रखा है | पुरोहितों ने भगवान् के घर में सब सामान है कहकर इसे भी बाबा का भक्त कहने से भी पीछे नहीं हट रहें हैं , जबकि संदेह के आधार पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए उक्त व्यक्ति के पास से बरामद डायरी में उनका घर का पता लहर्दंगा , नवाडीह, जिला बोकारो लिखा रहने के कारण पुलिस असमंजस की स्थिति में है | पुलिस उनके पास से बरामद बैग और डायरी और डायरी में लिखे शब्द को लेकर गंभीर बना हुआ है , कि सचमुच में यह व्यक्ति आतंकी का एक कारिन्दा तो नहीं है |
बाबा मंदिर में संदेह के आधार पर पकडाया गया व्यक्ति क्या एक आतंकी है ?
Wednesday, July 21, 2010
Saturday, July 17, 2010
"बोल बम "
आगामी २६ जुलाई से सावन मास शुरू होने जा रहा है , इस एक महीने में पूरा देवघर आस्था का महासंगम बन जायेगा , चारो और बस एक ही नारा सुनने को मिलेगा "बोल बम " | वर्ष के इस एक महीने में जितना आस्था केवल देवघर (झारखण्ड ) में दिखता है उतना ही यहाँ से करीब १०८ किलोमीटर दूर स्थित सुल्तानगंज (बिहार) में भी दिखता है | आस्था से लबरेज लोंगों की आत्मविश्वास की एक झलक पैदल कांवर यात्रा में भी दिखता है | लोंगों के दिलो - दिमाग में बस एक ही बात घर कर जाती है की बाबा बैधनाथ को जलार्पण करना है | क्योंकि बाबा मनोकामना शिवलिंग है और तो और यह द्वादश ज्योतिर्लिंग में भी एक अहम् स्थान रखता है | हालाँकि देवघर स्थित बाबा बैधनाथ मंदिर में विभिन्न देवी - देवताओं के कुल २२ मंदिर हैं , लेकिन उन सबों में सबसे ज्यादा आस्था बाबा बैधनाथ के प्रति ही देखा जाता है | भक्त बाबा पर जलार्पण करने के लिए लम्बी कतार के साथ कई परेशानिओं का सामना करने के बाद भी गर्भगृह में प्रवेश कर सुल्तानगंज से लाकर गंगा जल अर्पण करतें हैं | समय के साथ भक्तों के सेवा के लिए कई सामाजिक संघठन भी अपना - अपना शिविर लगाकर भक्तों के सेवा के माध्यम के से पुन्य बटोरने का प्रयास करतें हैं | सुल्तानगंज से देवघर तक रास्तों में कई स्वयं सेवी संस्थाओं और सामाजिक संघठनों के शिविर के अलावे कई नामचीन कोर्पोरेट कम्पनियाँ भी अपना - अपना शिविर लगातें हैं और बी टू बी के माध्यम से अपना विपणन का रास्ता तैयार करतें हैं |
वहीँ बाबा के भक्तों के काँधे पर कांवर का दृश्य भी अद्भुत होता है | बच्चे हो या बड़े , महिला हो या पुरुष , सभी के काँधे पर कांवर नज़र आता है | कांवर भक्त अपने क्षमता के अनुसार विभिन्न आकर - प्रकार और विभिन्न वजनों में कांवर लेकर बाबा नगरी आतें हैं | इसके अलावे कई भक्त सांप तो कई भक्त बाबा के विभिन्न प्रकार के प्रिय दूत को लेकर बाबा मंदिर अपनी आस्था व्यक्त करने आतें हैं | वर्ष के बस एक महीने में यानि सावन महीने में मानव का एक महासमुद्र देवघर में उतर आता है , पूरा शहर भगवा धारी भक्तों से पट जाता है | शहर का सारा कोना बोलबम से गूंजामयान हो जाता है | इस एक महीने में बिहार प्रान्त का सुल्तानगंज और झारखण्ड प्रान्त का देवघर ( बैधनाथधाम) और बासुकीनाथधाम आस्था का संगम बन जाता है |देवघर आने के पहले भक्त बिहार के सुल्तानगंज स्थित गंगा में स्नान कर पवित्र हो गंगा जल उठातें हैं और फिर पवित्रता के साथ देवघर के लिए रवाना हो जातें हैं | देवघर में बाबा बैधनाथ के शिवलिंग में जलार्पण करने के बाद यहाँ से करीब २० किलोमीटर दूर स्थित बासुकीनाथ धाम जातें है और अपनी नाना प्रकार की महत्वाकांक्षा की कामना करतें है |
वहीँ बाबा के भक्तों के काँधे पर कांवर का दृश्य भी अद्भुत होता है | बच्चे हो या बड़े , महिला हो या पुरुष , सभी के काँधे पर कांवर नज़र आता है | कांवर भक्त अपने क्षमता के अनुसार विभिन्न आकर - प्रकार और विभिन्न वजनों में कांवर लेकर बाबा नगरी आतें हैं | इसके अलावे कई भक्त सांप तो कई भक्त बाबा के विभिन्न प्रकार के प्रिय दूत को लेकर बाबा मंदिर अपनी आस्था व्यक्त करने आतें हैं | वर्ष के बस एक महीने में यानि सावन महीने में मानव का एक महासमुद्र देवघर में उतर आता है , पूरा शहर भगवा धारी भक्तों से पट जाता है | शहर का सारा कोना बोलबम से गूंजामयान हो जाता है | इस एक महीने में बिहार प्रान्त का सुल्तानगंज और झारखण्ड प्रान्त का देवघर ( बैधनाथधाम) और बासुकीनाथधाम आस्था का संगम बन जाता है |देवघर आने के पहले भक्त बिहार के सुल्तानगंज स्थित गंगा में स्नान कर पवित्र हो गंगा जल उठातें हैं और फिर पवित्रता के साथ देवघर के लिए रवाना हो जातें हैं | देवघर में बाबा बैधनाथ के शिवलिंग में जलार्पण करने के बाद यहाँ से करीब २० किलोमीटर दूर स्थित बासुकीनाथ धाम जातें है और अपनी नाना प्रकार की महत्वाकांक्षा की कामना करतें है |
Tuesday, March 9, 2010
Saturday, March 6, 2010
माँ ललिता हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेण्टर द्वारा वार्षिकोत्सव के मौके पर आयोजित दो दिवसीय 'स्वास्थ्य मेला' में
झारखण्ड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर में एक निजी अस्पताल माँ ललिता हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेण्टर द्वारा वार्षिकोत्सव के मौके पर आयोजित दो दिवसीय 'स्वास्थ्य मेला' में एक और जहाँ मुफ्त चिकित्सा लाभ आम लोगों को दिया गया और साथ - साथ किसी भी प्रकार की तकनिकी जांच पर २० से ४० प्रतिशत की विशेष छूट दिया गया | वहीँ दूसरी और यह बताने का प्रयास किया गया कि यह अस्पताल किसी भी प्रकार के संवेदित रोग और संवेदित दुर्घटना में उचित चिकित्सा लाभ देने में सक्षम है | हालाँकि उक्त अस्पताल में करीब २५ स्पेस्लिस्ट डॉक्टर हैं और २०० बेड से लैस मल्टी सुपर स्पेसिलिटी सुविधा है | ऐसे में इस अस्पताल के एक वर्ष पूरा होने पर मुफ्त चिकित्सा हेतु आयोजित स्वास्थ्य मेला इस क्षेत्र के लोगों के बीच अस्पताल के गुणवता के साथ - साथ वेहतर चिकित्सा सेवा का एक सन्देश देने का काम किया | बतातें चलें कि इस अस्पताल में उपलब्ध सुविधाएँ अब संताल परगना क्षेत्र के लोगों को किसी भी प्रकार के जानलेवा बीमारी और अकस्मात घटी मार्मिक घटनाओं से विचलित हो जानेवाली स्थिति से लगभग विराम लगने वाला है और करीब - करीब विराम लग चुका है | पहले तो किसी भी के बीमारी के लिए पटना या फिर किसी अन्य चर्चित शहर के डॉक्टरों के पास जाना पड़ता था , किन्तु इस अस्पताल के खुल जाने से अब यहाँ के लोगों को इसका लाभ मिल रहा है | यह अस्पताल आई एस ओं प्रमाणित है और सरकारी स्तर पर भी एक आई एस ओं प्रमाणित अस्पताल है किन्तु सरकारी अस्पताल केवल तो केवल आई एस ओं प्रमाणित का लेवल लगा रखा है और यहाँ सेवा दे रहे डॉक्टर सेवा देने के बदले मरीजों से झुंझलाहट और गुस्से से ही स्वागत करतें हैं | दूसरी और तो नाम के आगे मरीजों को आई एस ओं स्तर का इलाज़ भी नहीं दे पातें हैं | अब देवघर की धरती पर दो - दो आई एस ओं प्रमाणित अस्पताल हैं , इसमें से कौन आम लोगों के बीमारी से निजात दिलाने के लिए कारगार साबित होगा और आर्थिक और मानसिक रूप से उन्हें संतुष्टि दिलाने में वरदान साबित होगा | यह आनेवाला भविष्य ही बतायेगा |
Tuesday, February 16, 2010
सत्ता सुख का मजा मधु कोड़ा प्रकरण
भारत आज़ाद हुए वर्षों हो गयी है , और भारत देश के भिन्न रायों में विभिन्न राजनितिक दलों ने सत्ता सुख का मजा चख लिया है लेकिन मधु कोड़ा ने जिस तरह से एक मिसाल किया है , वह एक इतिहास ही है करीब तीन वर्षों में झारखण्ड के सत्ता पर बैठ कर जनता के धन के राजकीय कोष से जिस प्रकार का घोटाला दिखाया है वह शायद वर्षों पूर्व के मुख्यमंत्रियों ने भी किया होगा जो अब तक परदे के अन्दर है लेकिन झारखण्ड के निर्दलीय मुख्यमंत्री मधु कोड़ा द्वारा मात्र तीन वर्षों में अर्जित की गयी संपत्ति सभी राजनितिक दलों के लिए किरकिरा हो गया , जिसमे सबसे आगे कांग्रेस ही है क्योंकि कांग्रेस ने ही अपने लक्ष्य के अनुसार मधु कोड़ा को झारखण्ड राज्य के सत्ता पर बिठाने के लिए समर्थन दिया था , लेकिन ठीक उसके विपरीत हुआ , कांग्रेस को चोरी/ लूट के माल में हिस्सेदारी नहीं मिला और कांग्रेस का लूटने का सपना टूट गया अब कांग्रेस विभिन्न प्रकार की जाँच बिठाकर अपने को पाक-साफ साबित करने के लिए एडी - छोटी एक किये हुए हैं मामला कुछ भी हो , इसके बाद के कार्यकाल में राज्यपाल सिब्त्ते राजी का कार्यकाल भी विवादों से भरा हुआ है राज्यपाल महोदय ने भी जम कर राजकीय कोष को तरीके से लूटने का काम किया और अपने राज्य चले गए बात यही नहीं समाप्त होती है , बल्कि और विकराल रूप लेती जा रही है एक राज्यपाल को चोरी के दाग से बचाने के लिए और अपने को बेदाग़ साबित करने के लिए कांग्रेस ने जिस तरह का पासा फेंकना शुरू किया है , वह यह बताने का प्रयाश कर रहा है की कांग्रेस को चोर मत कहो कांग्रेस देशहित में काम करता है वहीँ दूसरी और मधु कोड़ा प्रकरण इस बात को काफी गौरव से कहता है कि मात्र तीन साल में जिस कदर राजकीय कोष का उपयोग स्वहित में कर सकता हूँ , ठीक इसी प्रकार अन्य राजनितिक दलों ने भी मुख्यमंत्री रहते हुए राजकीय कोष को जमकर लूटा है और राज्यों को विकाश के किरण से कोसों दूर रखा है मधु कोड़ा प्रकरण में यह भी दम है कि , आजतक कांग्रेस अपने को सबसे होशियार राजनितिक दल और हिंदी भाषी राज्यों के लोंगों को मुर्ख समझते थे , और किसी भी हिंदी भाषी को मोहरा बनाकर कहें भी उपयोग कर लेते थे , जो अब नहीं चलेगा अब नहीं चलेगा . राजनेताओं कि झूठी आश्वाशन सत्ता सुख लेने वाले हरेक राजनितिक दल के मुखिया जनता के राजकीय और राष्ट्रिय कोष से इसी प्रकार से धन राशि को अपने नाम करतें हैं , उनपर क्यों नहीं जाँच होती हैं यह सवाल का विषय है करीब तीन साल में करोड़ों की संपत्ति अर्जित करनेवाले मधु कोड़ा ने हिंदी भाषी राज्यों से नफरत करने वाले नेताओं को यह सन्देश देने का काम किया है कि हिंदी भाषी में इतना प्रतिभा है , जिसका उपयोग अन्य राज्यों के लोग करतें हैं प्रतिभाओं के बल पर किसी राज्य को एक नया रूप दे देते हैं तीन साल में करोडो कि राशि --------------------------और करीब २०-३० सालों तक सत्ता सुख लेने वाले मुख्यमंत्रियों ने भी करोडो का राशि हड़प लिया है उनके करीबी का भी जाँच करना चाहिए आजादी के बाद से सत्ता सुख प्राप्त करने वाले सभी मुख्मंत्रियों का भी संपत्ति का जाँच होना चाहिए
Tuesday, February 9, 2010
सिमुलतला में वर्षों बाद विकास की किरण

देवनगरी देवघर से करीब ३० किलोमीटर दूर स्थित प्रकृति के गोद में बसे सिमुलतला में वर्षों बाद विकास की किरण प्रस्फुटित होने जा रही है, जिसके रश्मि से केवल यह क्षेत्र ही नहीं पूरा बिहार दीप्तमान होगी इस अनोखे अध्याय के शुरुआत में समाज के बुद्धिजीवियों के अलावे तत्कालीन सांसद गिरधारी यादव और समाज के चेहते व्यक्ति अजित का (अजित सिंह ) का अभूतपूर्व योगदान रहा है इसके बाद सिमुलतला के नाम से विद्यालय की स्थापना के विषय पर वर्तमान बिहार सरकार के कथित मंत्री की भूमिका भी सराहनीय रही है , जिन्होंने अपने दूरदर्शिता का परिचय दिलाते हुए कैबिनेट में काफी गरमा -गर्मी माहोल उत्पन्न कर सिमुलतला आवासीय विद्यालय ,सिमुलतला पर मोहर लगाने को विवश किया विकास की पहली किरण के लिए लालायित सिमुलतला को इसी मिटटी के सुगंध में पले बड़े तत्कालीन सांसद गिरधारी यादव ने राजधर्म का पालन करते हुए विकास के मामले में पीछे चल रहे सिमुलतला को विकास की किरण से जोड़ने के लिए समाज के चेहते व् चर्चित व्यक्ति अजित का का नेत्रित्व लेकर कांग्रेसी नेता बबली सिंह ( अशोक सिंह) के साथ समाज के बुद्धिजीवियों को विकास का पाठ पढाया और काफी मसक्कत के बाद विद्यालय हेतु करीब २०० एकड़ bhumi uplabhd karaya अब बिहार सरकार विकास की किरण से कोसों दूर इस क्षेत्र को विकास के गति का पहिया पहनाने को हर संभव प्रयास कर अमलीजामा पहनाने को संकल्पित हो चुके हैं। ज्ञात हो यह क्षेत्र केवल दूरदर्शिता के अभाव में इतिहास के पन्नो तक ही सिमटा था और हकीकत यह है कि, सिमुलतला आज़ादी के पूर्व ब्रिटिश हुकूमत का उपनिवेश था , आजादी के बाद भी यह भारत देश के नौकरशाहों और शासकों का उपनिवेश बना हुआ है यह घोषित है , क्योंकि राज्य सरकार के द्वारा जो भी विकास के कार्य किये जातें थे वह दुराग्रह से प्रभावित राजनेताओं और नौकरशाह के इशारे पर गटक लिया जाता था विकास के पायदान पर चड़ने के पहले इस क्षेत्र को पहाड़ और पत्थरों तथा जंगलों वाले क्षेत्र के नाम से दरकिनार कर दिया जाता था परिणामस्वरूप वक्त के रफ्तार के साथ शायद श्रृष्टि के रचयिता को कुछ और ही मंजूर हुआ और भारतीय जनजागरण के प्रथम पडाव के रूप में शिक्षा का दीप जलाने को प्रोत्साहित कर दिया , इस क्षेत्र को सिमुलतला आवासीय विद्यालय ,(स्वयं के नाम से ) एक राष्ट्रीय स्तर के विद्यालय का तोहफा दे डाला यह विद्यालय सिमुलतला को पुनः राष्ट्रिय स्तर पर एक नयी पहचान देने जा रही है ज्ञात हो कि सिमुलतला बाबा बैधनाथ की नगरी देवघर से करीब ३० किलोमीटर दूर स्थित है यह झारखण्ड राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र पर बिहार राज्य के जमुई जिला के तहत झाझा प्रखंड के अंतर्गत है पर्यटन के मानचित्र पर सिमुलतला एक पर्यटक स्थान के नाम से प्रसिद्द है और अब भी यह गाँधी जी के प्रिय महिला सहकर्मी तूफानी के बचपन के आँगन के नाम से जाना जाता है , स्वामी विवेकानंद ,ब्रहमानंद,और महाकवि रविंद्रनाथ के अलावे आजादी के कई दीवानों के प्रथम कर्मक्षेत्र के नाम से इतिहास में रेखांकित है, सिमुलतला आवासीय विद्यालय में नेतरहाट के तर्ज पर सह शिक्षा प्रणाली के अनुसार शिक्षा दिए जाने की योजना है इसके अलावे भविष्य में इस विद्यालय में आधुनिक तकनीक के माध्यम से कई प्रकार के विशेष शिक्षा देने की योजना है , और अब दुर्भाग्य यह है की बिहार सरकार द्वारा उक्त विद्यालय के नाम पर बनाये गए वेबसाइट भी उचित ढंग से पूरी नहीं की गयी है बनाये गए वेबसाइट आधे - अधूरे हैं , जिससे उक्त विद्यालय से सम्बंधित जानकारी भी आम अवाम तक नहीं पहुँच पा रहा है इस सम्बन्ध में भारत सरकार के शिक्षा विभाग को विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि विकास की किरण को पहुचाने को तत्पर शिक्षा विभाग की जानकारी जिज्ञाशु व्यक्ति तक आसानी से पहुँच सके जानकारी के लिए.......
Monday, February 8, 2010
महाशिवरात्रि महोत्सव
देवनगरी देवघर में महाशिवरात्रि महोत्सव की धूम मची है इस पावन अवसर पर पुरे देवधरा को देवघर की धरती पर उतारने के लिए आयोजक जोर शोर से लगें है जैसा की बता दें , देवघर बाबा बैधनाथ के कामनालिंग के रूप में प्रसिद्ध होने के कारण भगवान् शिव से सम्बंधित सभी प्रकार के उत्सव समारोह पूर्वक मनाये जातें हैं महाशिवरात्रि तो बाबा बैधनाथ की विवाह की बारात की उत्सव होती है इस दिन भक्त बाबा बैधनाथ के विवाह के पृष्ठभूमि के अनोखे कहानियों को विशेष रूप से याद करतें हैं वर्ष २००९ में तो विशेष आकर्षण सिरकटा दैत्य है इस झांकी को देखने के लिए देश के विभिन्न भागों से भक्तों का जमावड़ा लग जाता है
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